माँ को शब्दों में नही बाँधा जा सकता। माँ एक लफ़्ज नही एक संसार है । एक व्यक्ति नही एक व्यक्तित्व है। माँ प्रकृति है जो सिर्फ देना जानती है।
1
किसी आँगन में अम्मा की हँसी जब छूट जाती है।
तो खुशियों के नदी की बांध जैसे टूट जाती है।
दुखा कर दिल कभी आबाद रह पाया नहीं कोई
कि खुशियां दूर हो जाती जो अम्मा रूठ जाती है।
2
वो चूल्हे पर पतीले में चढ़ा कर दाल बैठी है
हमारे हर ग़मो को वो ख़ुशी में ढाल बैठी है
बुरी नज़रो हमारे पास आने से प्रथम सुन लो
हमारी माँ तुम्हारे वास्ते बन काल बैठी है।
3
कैसे शब्दों में तुझे बांधे कलम हैरान है .
स्वर्ग से बढकर सदा अम्मा तेरा स्थान है .
जब कभी बाधाओं -विघ्नों नें मुझे घेरा है तब
सच कहूं मां लब पे मेरे बस तुम्हारा नाम है .
4
मां भोर की उजास है
दु:ख में भी सुख की आस है
मां दिल के सबसे पास है
मां दिल की एक अहसास है
जो दूर रहकर पास है
जो दिल की एक आवाज है
जो निराश मन की आश है
जो प्यार की एहसास है
वो और कुछ है ही नहीं
बस मां की एक आवाज है
इस अन्धेरे में दिखाई पड़ रहा जो प्रकाश है
वो मेरी मां का मेरे प्रति विश्वास है ,जो खास है
मेरेमन मे विजय का जो तनिक भी विश्वास है
वो इसलिये की साथ मेरे मां का आशीर्वाद है .
आज "दीपक " जल रहा और दे रहा जो प्रकाश है
उस लौ में है जो रौशनी वह मां का ही विश्वास है .
© लोकेन्द्र मणि मिश्र"दीपक"
lOve U MaA