गुरुवार, 24 मार्च 2016

होली

होली की शुभकामनाएं

1: है होली भी गजब त्यौहार खुशियाँ गुनगुनाती हैं
कभी सच में कभी ख्वाबों में दस्तक दिल पे आती है।
हृदय पर प्यार के जो बीज बोये ते कभी तुमने
हरेक होली में फसलें प्यार की अब लहलहाती हैं।

2: जो होली में मोहब्बत का ही फैले रंग अच्छा है।
न हो तकरार या ईष्या तभी हर रंग अच्छा है।
जहाँ में फ़ैल जाये ये हवा फागुन की मतवाली
हवा में भी घुला हो प्यार का गर रंग अच्छा है

3 : हो होली में मिलन की आश पुरी तब तो होली है
खतम हो दिल से दिल के बीच दुरी तब तो होली है।
अचानक से कोई आकर किसी से प्यार से बोले
''तुम्हारे बिन कहानी ये अधूरी'' तब तो होली है

4 : चलो मिलकर मनाये आज हम तुम साथ में होली।
रंगो में इस तरह डूबें हो हर जज़्बात में होली।
कहो कुछ तुम कहे कुछ हम सुने सारा जमाना ये
तुम्हारी बात में होली हमारी बात में होली।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
©lokendradeepak.blogspot.com

सोमवार, 21 मार्च 2016

ग़ज़ल


क्यों नजर में कुछ के खलती है ग़ज़ल
इसलिए की सच ही कहती है ग़ज़ल

नफरतों के बीज ना बच पाएंगे
आशिकों के दिल में पलती है ग़ज़ल

छोड़ कर सारे विवादों को सदा
नित नए आकाश चढ़ती है ग़ज़ल

दिल कभी जब टूट जाता है तभी
शब्द बन कागज पे ढलती है ग़ज़ल

राज होगा ही नहीं अंधियार का
बनके "दीपक" तिमिर हरती है ग़ज़ल

~~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

गुरुवार, 17 मार्च 2016

ग़ज़ल

हमारी उमर है अभी उलझनों की
नये मुश्किलों की नए हसरतों की

ये कुछ कह रहा है जरा इसकी सुन लो
न टालो कभी बात यूँ धड़कनों की।

कठिन रास्तो पर भी चलना सिखाया
यही बात है ख़ास हर मंजिलों की।

कभी जीतने ही नही देगी तुमको
रही गर जरा भी कमी हौंसलो की

नेह का एक "दीपक" जला कर देखो
मिटेगी सदा तीरगी नफ़रतों की।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
©lokendradeepak.blogspot.com

मंगलवार, 8 मार्च 2016

महिला दिवस

मूल के बिन वृक्ष क्या है? बीज ? पत्ता?
नमन है तुमको नमन हे मातृ सत्ता

शक्ति का अवतार हो तुम
नफ़रतों में प्यार हो तुम
कौन कहता हार हो तुम?
जिंदगी का सार हो तुम।

मूल के बिन वृक्ष क्या है?

माँ बहन बेटी हो तुम
प्रेयसी पत्नी हो तुम
कौन कहता कौन हो तुम ? 
विश्व की जननी हो तुम।

मूल के बिन वृक्ष क्या है ?

तुम नहीं मजबूर या लाचार हो।
इस धरा की शक्ति का आधार हो।
कौन कहता है तुम्हे तुम ख़ार  हो
गंगा के जैसी ही पावन धार हो।

मूल के बिन वृक्ष क्या है? बीज?पत्ता?
नमन है तुमको नमन हे मातृसत्ता

~~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
©lokendradeepak.blogspot.com

रविवार, 6 मार्च 2016

भिण्डा मिश्र की रामलीला

भिण्डा मिश्र की रामलीला :एक समग्र परिचय

देवरिया की भूमि सदा से ही देवताओं और परम्पराओं की भूमि  रही है। इसी जिला के भाटपार रानी तहसील में स्थित ग्राम भिण्डा मिश्र अपने रामलीला की परंपरा को बनाये रखने के लिए जाना जाता है। इसकी शुभारम्भ कबसे हुई ये कहा नही जा सकता वर्तमान में गांव के सबसे बुजुर्ग व्यक्ति श्री राजेन्द्र मिश्र (93) से पूछने पर उन्होंने कहा की मैं बचपन से देखता आ रहा हूँ ।उन्हें भी इस परंपरा के शुरुआत की कोई जानकारी नही है। 80 -90  के दशक स्व. श्री केदारनाथ मिश्र ने रामलीला की अध्यक्षता करते हुए रामलीला को एक स्वर्णिम युग दिया। उसके बाद श्रीराम मिश्र  तथा सुरेश मिश्र ने क्रमशः रामलीला को नई ऊंचाइयां प्रदान की।
रामजन्म से लेकर राम राज्याभिषेक तक की लीला को सदियों से निर्बाध रूप से संचालन करने वाले लोग और गाँव सचमुच में बधाई के पात्र हैं ।
दशहरा नजदीक आते ही गाँव में मीटिंगों का दौर शुरू हो जाता है फिर पात्र चयन से लेकर आर्थिक प्रबन्ध तक की प्रक्रिया का निर्धारण होता है। गाँव के शिव मन्दिर के प्रांगड़ में संचालित होती इस रामलीला को मैंने काफी पास से देखा है राम,अंगद,विभीषण आदि कई महत्वपूर्ण पात्रों को निभाते समय मैंने बहुत कुछ सीखा और जाना , सबसे ख़ास बात यह है की इस रामलीला के सभी कलाकार इसी गाँव के लोग रहते हैं। लगभग 10 दिनों तक चलने वाले इस महा महोत्सव मे आसपास के गाँव के लोगों तथा ग्रामवासियों के उत्साह और भक्ति को देखा जा सकता है। अभिनन्दन का पात्र है यह गाँव जो इस परम्परा को पूरी निष्ठा और भक्ति के साथ निभा रही है.

  ~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
ग्राम भिण्डा मिश्र
9169041691