शुक्रवार, 30 जून 2017

तुलसी इस संसार में......

आदमी अपने स्वाभाव से ही जाना जाता है। परसाई जी ने कहा था "मनुष्य अपने दुःख  से उतना दुःखीनहीं होता जितना की दूसरे के सुख से". हमारे चारो तरफ कुछ ऐसे लोग मिल जायेंगे जिनका काम सिर्फ मज़ा लेना होता है ऐसी ही एक शख्शियत हैं ख्यातिभूषण जी । आप नब्बे के दशक डिप्लोमाधारी इंजीनियर हैं और आप फ़िलहाल एक ठेकेदारी इंजीनियर हैं। ठेकेदारी इंजीनियर ?? अरे नही नही ये कोई ब्रांच नहीं है बल्कि वह इंजीनियर जो स्वयं ठेकेदार भी हो उसको ठेकेदारी इंजीनियर कहते हैं। एक बार की बात है ख्यातिभूषण जी खाली समय में अपने बारामदे में आरामकुर्सी डाले आराम फ़रमा रहे थे लेकिन चूँकि इनके स्वाभाव में ही चुल्ल है इसलिये ये आराम करना इन्हे नागवार गुज़रने लगा। इनका हाथ अपने सैमसंग j7 पर गया और कॉन्टेक्ट लिस्ट में आँखे किसी नम्बर को ढूंढने लगीं। नम्बर लगा , फोन उठा और बातचीत शुरू होई । गाँव के पुरुब टोला से लगाय दक्खिन टोला तक का हाल चाल पूछने के बाद और आजकल क्या हो रहा है ? का भारी भरकम सवाल दागा। ये जो सवाल हैं न, ये सवाल जख़्म पे नमक रगड़ने वाला होता है। हो क्या रहा है , बेरोजगारी है अब क्या बतायें आप तो सब जानते ही हैं। उधर से आवाज आई। जिस प्रकार बगुला जल में मछली की ताक में नज़रें गड़ाये रहता है ख्यातिभूषण जी भी इसी जवाब को सुनने के लिए फ़ोन करते थे। आप चिंता मत करिये भईया इसी महीने के लास्ट में एक नया प्रोजेक्ट मिल रहा है आपको जल्दिये बुलाते हैं यहीं रहियेगा बढ़िया पैसा मिलेगा और हम तो हैं ही यहाँ।  आपका बहुत एहसान है हमलोगों पर। ख्याति भूषण जी ने कहा। ये वही डायलॉग है जो वो हमेशा बेरोजगारी वाली बात के बाद कहते थे। एक बार फिर बाग़ - बगइचा, नहर - कूड़ही का हाल चाल पूछने के बाद परनाम कह कर फोन रख देते हैं ख्याति भूषण जी। अब अगला फोन अपने दूर के भतीजे के पास करते है फिर वही हाल चाल ओखर- मूसर बतियाने के बाद नोकरी का जबरदस्त ऑफर देने लगते हैं। इनकी बाते सुनकर ऐसा लगता है जैसे कर्मचारी चयन आयोग की ठेकेदारी भी इन्ही के पास आ गयी है। अब पिछले फोन वाले भईया के बारे में बताने लगते हैं जानते हो यार अभी गाँव से टुन्ना भईया का फोन आया था परेशान कर के रख दिये हैं रोज सुबह शाम नोकरी के लिए फ़ोन करते हैं, जब पढ़ना - लिखना था तब तो ये लोग कुछ किये नहीं और अब हमारे पीछे पड़े रहते हैं। भतीजा इनकी नस - नस से वाकिफ़ था वो जानता था की फ़ोन किसने किया होगा और नौकरी का ऑफर किसने दिया होगा। अब ख्यातिभूषण एक - एक कर सबका हाल पूछने लगे फलां चाचा कैसे हैं? फलां भईया कैसे है ? बेचारा भतीजा रोज रोज के टॉर्चर से तंग आ गया था उसने कहा चचा एक बार व्हाट्सएप्प पर आइये तो। फिर अपनी पूरी कॉन्टेक्ट लिस्ट कॉपी करके व्हाट्सएप्प पर भेज दिया और कहा आज के बाद हमसे पूरे जवार का हाल चाल मत पूछियेगा सबका नम्बर है फोन कर के पूछ लीजिये। चचा ने उस दिन से भतीजे को फेसबुक और व्हाट्सएप्प पर ब्लाक कर दिया। अब भतीजा मज़े में है और एक मल्टीनेशनल फर्म में एडवाइजर है।वो अपनी सफलता के श्रेय का कुछ हिस्सा अब भी ख्यातिभूषण जी को देता है की अगर उन्होंने ब्लाक नहीं किया होता तो वो रोज़ एक नयी नौकरी दिलाते और रोज़ समय ख़राब करते। वो नौकरी का ऑफर इस तरह से देते थे जैसे लगता था की वाह अब तो नौकरी मिल गयी । खैर भतीजे ने भी एक उपकार तो चाचा जी पर किया ही था कॉन्टेक्ट लिस्ट भेजकर । जिसे भी वो नौकरी दिलाने की बात करते थे आज वो सब लोग अपनी काबिलियत के बल पर नौकरी या छोटा - मोटा बिज़नेस करते हैं और खुश हैं। जिनकी नौकरी लग  गयी है उनके पास ख्यातिभूषण जी का कॉल नही आता है। लेकिन चूँकि मनुष्य का स्वाभाव कभी नहीं बदलता है , आज भी ख्यातिभूषण की नज़रे अपने कॉन्टेक्ट लिस्ट के बेरोज़गारों को खोजती रहती हैं और फिर शुरू होता है एक और जाल का फेंकना और कुछ बेरोज़गारों को फँसा कर उनका समय खराब करना।

ध्यान से देखिये आपके आसपास भी कोई ख्यातिभूषण मिल ही जायेंगे।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"