रविवार, 28 अगस्त 2016

नाथ दैव कर कौन भरोसा

नाथ दैव कर कौन भरोसा...

आज ही टीवी पर देखा की महाराष्ट्र, बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ जिलों में बाढ़  से जन जीवन बेहाल है। अभी कल की ही बात है बलिया में एक बाँध टूट गया। बाढ़ की विभीषिका के बारे में वही जान सकता है जो भुक्तभोगी हो। पर टीवी पर दिखाए जाने वाले दृश्य निश्चित ही दिल दहला देने वाले हैं। लगभग 10 दिन पहले मैंने पढ़ा था की एक गाँव है परसिया कूर्र्ह  है नहीं था । अभी उसका आखिरी मकान गिरा है 10 दिन पहले। बहुत दुःखद स्थिति है। वहीं एक मेरा क्षेत्र है भाटपार रानी यहां खेतों में धान के सिंचाई के लिए पम्पिंग सेट्स लगाये जा रहे हैं। और श्रमबिंदु तो बिना श्रम किये ही श्रमधार बनकर बह रही है। बिजली की स्थिति तो वही है उत्तर प्रदेश मोड। कभी दक्षिणी फीडर जल रहा है तो कभी उत्तरी फीडर। नहा कर कपड़े क्या पहने फिर नहा लिए। दैव से अब यही विनती है बाढ को शांत करें और थोड़ी बारिश हमारे यहाँ भी करें ताकि धान न सूखे और पम्पिंग सेट चला कर नुकसान की खेती न करनी पड़े । इस मौके और गोस्वामी जी याद आ रहे हैं। नाथ दैव कर कवन भरोसा.......

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

सोमवार, 15 अगस्त 2016

जय हिन्द

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
शहीदों के नाम एक मुक्तक

देश खातिर किया हर जतन आपने
प्राण देकर बचाया वतन आपने
आज आज़ाद हैं हम तो बस इसलिये
देश के हित में ओढ़ा कफ़न आपने।

शहीदों के सपने के भारत यह नही है । आज कश्मीर में हमारे सैनिकों के ऊपर पत्थर फेंके जाते हैं, लाल चौक पर तिरंगा नही फहराया जाता आदि आदि । ये लिस्ट काफी लम्बी है। भारत की बर्बादी के नारे लगाये जाते हैं। जस्टिस गांगुली जैसे बुद्धिजीवियों को अफज़ल की फांसी गलत लगती है। और इन जगहों पर सरकार की उदासीनता भी दिखाई देती है। इसी संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ

आजादी का जो सपना था वह पूर्ण अभी तक हुआ नहीं
जो दुष्ट पड़ोसी है उसका मद चूर्ण अभी तक हुआ नहीं।

ऐ नौजवान आगे आओ नौका लहरों के पार करो
अरि मुंडो के जयमाल हेतु तीखी कटार की धार करो ।

पथ भले भरा हो काँटो से पर हार मानना कभी नहीं।
ना कभी मांगने से मिलता अधिकार माँगना कभी नहीं।

जिसको भी विजय मिला जग में है मिला भुजाओं के बल पर
जंग नहीं जीती जाती है कभी सुझावों के बल पर।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

जय हिन्द

स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
शहीदों के नाम एक मुक्तक

देश खातिर किया हर जतन आपने
प्राण देकर बचाया वतन आपने
आज आज़ाद हैं हम तो बस इसलिये
देश के हित में ओढ़ा कफ़न आपने।

शहीदों के सपने के भारत यह नही है । आज कश्मीर में हमारे सैनिकों के ऊपर पत्थर फेंके जाते हैं, लाल चौक पर तिरंगा नही फहराया जाता आदि आदि । ये लिस्ट काफी लम्बी है। भारत की बर्बादी के नारे लगाये जाते हैं। जस्टिस गांगुली जैसे बुद्धिजीवियों को अफज़ल की फांसी गलत लगती है। और इन जगहों पर सरकार की उदासीनता भी दिखाई देती है। इसी संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ

आजादी का जो सपना था वह पूर्ण अभी तक हुआ नहीं
जो दुष्ट पड़ोसी है उसका मद चूर्ण अभी तक हुआ नहीं।

ऐ नौजवान आगे आओ नौका लहरों के पार करो
अरि मुंडो के जयमाल हेतु तीखी कटार की धार करो ।

पथ भले भरा हो काँटो से पर हार मानना कभी नहीं।
ना कभी मांगने से मिलता अधिकार माँगना कभी नहीं।

जिसको भी विजय मिला जग में है मिला भुजाओं के बल पर
जंग नहीं जीती जाती है कभी सुझावों के बल पर।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

रविवार, 14 अगस्त 2016

भारत का पाकिस्तान के नाम पत्र

प्रिय पुत्र

यूँ तो प्रिय शब्द कहने का दिल नहीं करता पर क्या करें कुपुत्र की सही पर हो तो मेरे पुत्र ही।सामान्यतः पुत्र के जन्म पर पिता को प्रसन्नता होती है पर तुम्हारा केस ऐसा नही था तुम्हारा जन्म पूरी मानवजाति के लिए एक शर्म की बात थी क्योंकि इधर तुम्हारा जन्म हुआ और इधर न जाने कितनी ही जाने चली गयीं और मानवता की हत्या हुई। कहते है पुत्र कुल का दीपक होता है तुम तो चिता जलाने वाली आग निकले ।नीचता   का रिकॉर्ड बनाना तो कोई तुमसे सीखे। सिर्फ अलग होकर ही तुम नही माने तुमने तो अपने बाप के खिलाफ अपने बाप के घर में ही युद्ध छेड़ दिया। अरे बेटा बाप बाप होता है। ये बात तो जाहिल से जाहिल बच्चे भी जानते हैं कि बाप की संपत्ति जब तक बाप देता नही तब तक कोई भी कानून बेटे को वो संपत्ति नहीं दिला सकता। पर बेटा तुमको कानून की बात कहाँ पल्ले पड़ने वाली तुम तो बम बारूद की बातें करते हो । तुम जितनी बार घर मिलने आये उतनी बार हमने स्वागत किया , कभी आगरा में तो कभी शिमला और कभी दिल्ली में पर तुम तो हो ही हरामी तुम्हें कश्मीर चाहिए । तुम 71 में बम बारूद ले के आये हम तुम्हे लाहौर तक खदेड़ कर आये। यार कमीनेपन की भी हद होती है । भगाने के बाद फिर कारगिल में जूते खाने चले आये। बेटे हम बाप का फ़र्ज़ आज तक निभाते आये पर अब नहीं होता यार। हमारा छोटा बेटा जो 71 में जन्मा उससे भी तुम्हारी नहीं बनती। छोडो हमे अब तुम्हे समझाना नही है । यार 1947 से समझा रहे हैं अब 2016 चल रहा है इतना कोई सहता है क्या ?आखिरी बार कहते है सुन लो बेटा सुधर जाओ नही तो पता ही है तुम्हे  ""बाप बाप होता है""।  अब आज तुम्हारा जन्मदिन है तो गिफ्ट के तौर पर यही नसीहत है ध्यान रखना । नहीं तो बाप बाप होता है......

तुम्हारा बाप
हिंदुस्तान

लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

रविवार, 7 अगस्त 2016

दोस्ती

मित्रता दिवस पर एक और स्वरचित गज़ल

है  इश्क़ है मोहब्बत है प्यार दोस्ती
हो जंग दुश्मनों से तो तलवार दोस्ती

सागर में दुःख के जब कभी फंस जाए जिंदगी
तब डूबती नौका को है पतवार दोस्ती

है मानते होते नही सब दिन हैं एक से
मीठी झड़प है प्यार में तकरार दोस्ती

आए हमारी जिंदगी में इसका शुक्रिया
पतझड़ भरे जीवन में है बहार दोस्ती

जब भी गिरा हूँ मुझको संभाला है तुमने ही
करता हूँ तह -ए -दिल से मैं आभार दोस्ती

©®लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
09169041691