गुरुवार, 26 सितंबर 2019

हमें उस मोड़ पर लायी वो लड़की

हमारे दरमिया कुछ था अगर तो
कदम या दो कदम का फासला था।

हमें उस वक़्त छोड़ा था किसी ने
हमें जिस वक़्त उससे राब्ता था।

हमारी आँख से निकला था सपना
हमें बस आँख भर से वास्ता था।

हमें उस मोड़ पर लायी वो लड़की
जहाँ ना रहगुज़र ना रास्ता  था।

चलो अच्छा हुआ कुछ ख्वाब टूटे
हकीक़त में यही वो चाहता था।

©लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"