मंगलवार, 9 जनवरी 2018

कल्पना बनाम भोजपुरी-2

"जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध"

कल्पना बनाम भोजपुरी -2

कल्पना का मामला अभी थमा नहीं है। थमे भी क्यों ? जब पिछले कई सालों से उनका अश्लील गाना नहीं थमा फिर उनका विरोध क्यों थमे ? लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है एक  स्पेसिफिक चश्मे से ही हर चीज को देखने की । आज उनलोगों को कल्पना का विरोध किसी जाति विशेष का विरोध लग रहा है, स्त्री का विरोध लग रहा है वो लोग तब कहाँ थे जब वो स्त्री को अपने गानों के माध्यम से बदनाम कर रही थी, क्या वो उन्हें ठीक लगा? या फिर कहीं कल्पना के विरोध का स्वर उनके समर्थन के स्वर से  अधिक ऊंचा न हो जाये इसलिए जातिवाद को बीच में लाया गया। बात जो भी हो लेकिन आपको सपोर्ट करना है  कल्पना का करिये स्पोर्ट लेकिन डबल स्टैंडर्ड की राजनीति कर के आप नुकसान तो भोजपुरी का ही कर रहे हैं। वैसे आप को भोजपुरी की फिक्र शायद है भी नहीं  हो भी क्यों भोजपुरी के चलते जितने भी लोग ऊपर उठे हैं उनका "भोजपुरी के उठने" से दूर - दूर तक कोई मतलब नहीं है।
भोजपुरी की सेवा किसी एक- दो दिन के आंदोलन या नारेबाजी से करना व्यर्थ है जब तक की आपमें गलत को गलत बोलने की हिम्मत न हो। एक तरफ आप भोजपुरी को दर्जा दिलाने की बात करते हैं दूसरी तरफ अश्लीलता की ढाल बनते हैं तो याद रखिये ढाल पर वार होते ही हैं और ढाल कितना भी मजबूत क्यों न हो श्रेष्ठ और कुशल सैनिक के वार से अपने पीछे छिपने वाले कमजोर को नहीं बचा सकता।

रही बात कल्पना की तो आप को पता है कि आपने क्या गाया है और कितने मजे से गाया है और अब भी उतने ही मजे से वही गया रही हैं। आप के विरोध को आप भी स्त्री विरोध की तरफ मोड़ रही हैं, लेकिन आपको शायद पता नहीं है कि हर वो लड़की या औरत जिसे आपके गानों के चलते राह चलना कठिन हो गया होगा वो खुद आपका विरोध कर रहीं हैं। ये नारीवाद - जातिवाद को आप ढाल बनाइये लेकिन कुछ होना नही है विरोध जारी रहेगा।

ये तो रही सपोर्ट और विरोध करने वालों की बात। कुछ लोग इस प्रकरण में बोलने से भी बच रहे हैं। क्योंकि वो इस लफड़े में पड़ना नहीं चाहते , क्या मतलब है कल्पना अच्छा गाये बुरा गाये.. गमछा बिछाये या गमछा उठाये। याद रखिये समय आपको भी माफ नहीं करेगा , या तो आप विरोध करिये या फिर आप भी एक बीज रोप दीजिये अश्लीलता के पक्ष में, क्योंकि बचने वाले तो आप ऐसे भी नहीं है। " जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध"।
आप अपनी जाति का रोना रोइये , क्योंकि ये बदल तो सकती नहीं है और आपको इसे लेकर इंफेरिओरिटी कॉम्प्लेक्स भी है नहीं  होता तो आप हर बात में इसे ही ब्रह्मास्त्र ( ब्रह्मास्त्र शब्द से भी आपको दिक्कत हो सकती है , इसमें भी जातिवाद दिखाई दे सकता है) के तौर पर क्यों उपयोग करते...

~लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"

सोमवार, 1 जनवरी 2018

नववर्ष की शुभकामनाएं

नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनायें

तिमिर को भगाने नया साल आया
विगत को भुलाने नया साल आया।

काँटों का साम्राज्य जड़ से मिटाकर
कुसुम नव खिलाने नया सालआया

बहुत हो चुका झूठ सच का फ़साना
सही क्या बताने नया साल आया

विगत वर्ष के अनुभवों को सजाकर
बहुत कुछ सिखाने नया साल आया

नयी राह "दीपक" जरा देख लो तुम
यही है दिखाने नया साल आया

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
lokendradeepak.blogspot.com