गुरुवार, 17 नवंबर 2016

ये युग मशीनों का है!

मशीनों ने इंसान को भी मशीन बना दिया है
कुछ लोग कहते मशीनों ने ज़िन्दगी को हसीन बना दिया है
मशीन दोस्त हैं हमारे भूलकर भी मत सोचना
जरा सी चूक   हो  जाए फिर देखना ।
सारी इंजीनियरिंग धरी रह जाती है
और मशीन की थ्योरी किताबों में पड़ी रह जाती है।
मैं मशीनों का विरोधी नहीं हूँ और कहना यही चाहता हूँ
कि मैं मशीन बनकर जीना नहीं चाहता हूँ।
मशीन हमे चाँद पर ले जा सकते हैं
हमें मंगल पर पानी दिला सकते हैं।
मगर मेरे दोस्त, मशीन बिल्कुल बेशऊर हैं
वे हमारी भावनाओं से बहुत दूर हैं।
हम मशीनों को उँगलियों पर नचाते हैं
जब चाहे जो चाहे कर के दिखाते  हैं।
ये युग मशीनों का है, हमे मानना होगा
पर मशीनों से पहले खुद को जानना होगा।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

रविवार, 13 नवंबर 2016

लाल सलाम

लाल सलाम कामरेड कैसे हो? भक् काहे का लाल सलाम धूप में खड़े खड़े करिया हुए जा रहे हैं हम और तुम हो की.......| काहे भड़कते हो यार क्या हुआ बताओ तो सही।देख नही रहे हो सबेरे से लाइन में लगे हैं रुपया एक्सचेंज कराने के लिये शाम होने को आ गयी और सर्वर डाउन है , आखिर इतना कष्ट क्यों झेले हम । देश गर्त में जा रहा है । गरीब भुखों मर रहा है हमारे पास और भी बहुत काम हैं करने को । ये जो बेरोजगार और अनपढ़ हैं यही सब लाइन में खड़े हैं हम तो एक एजेंट से बात किये हैं 500 का 450 दे रहा है अब उसी से लेंगे। लाल सलाम !
ये वही कामरेड हैं जो दो हफ्ते पहले तक भारत - पाकिस्तान का युद्ध चाहते थे। आज लाइन में भी खड़े नहीं हो रहे और कल ईंट का जबाब पत्थर से देने के लिए सरकार को कोश रहे थे । हाँ भाई सर्जिकल स्ट्राइक का सबूत भी मांग रहे थे। सिर्फ इसलिये की सीमा पर खुद लड़ने थोड़े जाना था । जिसको मरना है मरे ...काश कोई इस कामरेड के गालों पर एक लाल सलाम जड़ देता।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

इंद्र - नारद संवाद (समाजवादी रथ यात्रा)

देवर्षि नारद के स्वर्ग में पहुँचते ही इंद्र ने पूछा : देवर्षि पृथ्वीलोक के क्या समाचार हैं? देवर्षि ने कहा हे प्रभु आज मैं आपको उत्तर प्रदेश की कथा सुनाता  हूँ जिसे ब्रिटिश काल में यूनाइटेड प्रोविन्स कहा जाता था। यह प्रदेश आजकल समाजवाद का गढ़ बना हुआ है। ये वही समाजवाद है जहाँ पुत्र कहता है की मेरे पिताजी ने मुझे  मुख्यमंत्री बनाया तो मेरा यह फ़र्ज़ बनता है की मैं उन्हें प्रधानमन्त्री बनाऊँ। हे प्रभु इस समाजवाद के प्रमुख स्तम्भ एक नेताजी हैं जिन्होंने " बच्चे हैं गलतियां हो जाती  हैं" सिद्धांत का प्रतिपादन किया। हे देवर्षि यह रथ प्रकरण क्या है? आजकल बहुत जोर शोर से रथ प्रकरण की बाते चल रही हैं, जरा इसके बारे में भी कुछ बताईये ये कहते हुए इंद्र समाजवादी मैनिफेस्टो देखने लगे।  नारद ने कहा प्रभु समाजवाद के जानकारों का  कहना है की रथ न हो तो समाजवाद  फ़ैल ही नहीं सकता वो अलग बात है की इस बार रथ ही फ़ैल गया। हे प्रभो पाँच करोड़ रूपये से एक अत्यंत ही सुंदर समाजवादी रथ का निर्माण हुआ था जो वर्तमान वाहन विज्ञान और तकनीक का अद्भुत नमूना था जो बाद में एक "नमूना" बनकर ही रह गया। कुछ दूर चलने पर  समाजवाद का रथ धुंआ छोड़ने लगा। और तभी  रथी ने रथ को छोड़ कर एक अन्य चारपहिया वाहन से अपनी रथ यात्रा को वाहन यात्रा में परिवर्तित कर दिया। इसी रथ यात्रा के दौरान राजधानी के जनजीवन में ठहराव आ गया।
इस दौरान कई रोगियों को भी समाजवाद का अद्भुत रूप देखने को मिला। हे प्रभो पूरी रथयात्रा के बाद मुझे अदम गोंडवी का एक शेर याद आ गया
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में।

इतना सुनते ही देवराज ने जबरा फैन गाना बजाने का आदेश दिया और जय समाजवाद के नारे लगाने लगे।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"