शुक्रवार, 4 नवंबर 2016

इंद्र - नारद संवाद (समाजवादी रथ यात्रा)

देवर्षि नारद के स्वर्ग में पहुँचते ही इंद्र ने पूछा : देवर्षि पृथ्वीलोक के क्या समाचार हैं? देवर्षि ने कहा हे प्रभु आज मैं आपको उत्तर प्रदेश की कथा सुनाता  हूँ जिसे ब्रिटिश काल में यूनाइटेड प्रोविन्स कहा जाता था। यह प्रदेश आजकल समाजवाद का गढ़ बना हुआ है। ये वही समाजवाद है जहाँ पुत्र कहता है की मेरे पिताजी ने मुझे  मुख्यमंत्री बनाया तो मेरा यह फ़र्ज़ बनता है की मैं उन्हें प्रधानमन्त्री बनाऊँ। हे प्रभु इस समाजवाद के प्रमुख स्तम्भ एक नेताजी हैं जिन्होंने " बच्चे हैं गलतियां हो जाती  हैं" सिद्धांत का प्रतिपादन किया। हे देवर्षि यह रथ प्रकरण क्या है? आजकल बहुत जोर शोर से रथ प्रकरण की बाते चल रही हैं, जरा इसके बारे में भी कुछ बताईये ये कहते हुए इंद्र समाजवादी मैनिफेस्टो देखने लगे।  नारद ने कहा प्रभु समाजवाद के जानकारों का  कहना है की रथ न हो तो समाजवाद  फ़ैल ही नहीं सकता वो अलग बात है की इस बार रथ ही फ़ैल गया। हे प्रभो पाँच करोड़ रूपये से एक अत्यंत ही सुंदर समाजवादी रथ का निर्माण हुआ था जो वर्तमान वाहन विज्ञान और तकनीक का अद्भुत नमूना था जो बाद में एक "नमूना" बनकर ही रह गया। कुछ दूर चलने पर  समाजवाद का रथ धुंआ छोड़ने लगा। और तभी  रथी ने रथ को छोड़ कर एक अन्य चारपहिया वाहन से अपनी रथ यात्रा को वाहन यात्रा में परिवर्तित कर दिया। इसी रथ यात्रा के दौरान राजधानी के जनजीवन में ठहराव आ गया।
इस दौरान कई रोगियों को भी समाजवाद का अद्भुत रूप देखने को मिला। हे प्रभो पूरी रथयात्रा के बाद मुझे अदम गोंडवी का एक शेर याद आ गया
पक्के समाजवादी हैं तस्कर हों या डकैत
इतना असर है खादी के उजले लिबास में।

इतना सुनते ही देवराज ने जबरा फैन गाना बजाने का आदेश दिया और जय समाजवाद के नारे लगाने लगे।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

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