गुरुवार, 17 नवंबर 2016

ये युग मशीनों का है!

मशीनों ने इंसान को भी मशीन बना दिया है
कुछ लोग कहते मशीनों ने ज़िन्दगी को हसीन बना दिया है
मशीन दोस्त हैं हमारे भूलकर भी मत सोचना
जरा सी चूक   हो  जाए फिर देखना ।
सारी इंजीनियरिंग धरी रह जाती है
और मशीन की थ्योरी किताबों में पड़ी रह जाती है।
मैं मशीनों का विरोधी नहीं हूँ और कहना यही चाहता हूँ
कि मैं मशीन बनकर जीना नहीं चाहता हूँ।
मशीन हमे चाँद पर ले जा सकते हैं
हमें मंगल पर पानी दिला सकते हैं।
मगर मेरे दोस्त, मशीन बिल्कुल बेशऊर हैं
वे हमारी भावनाओं से बहुत दूर हैं।
हम मशीनों को उँगलियों पर नचाते हैं
जब चाहे जो चाहे कर के दिखाते  हैं।
ये युग मशीनों का है, हमे मानना होगा
पर मशीनों से पहले खुद को जानना होगा।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

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