बुधवार, 26 मई 2021

कपिलवस्तु से कुशीनगर के पथ पर.....

कपिलवस्तु से कुशीनगर के पथ पर तुमको
याद नहीं आई क्या घर की ? बोलो स्वामी !

राहुल ने सर से साया छिन जाने का दुःख
आखिर किसको रो रो कर बतलाया होगा?
यशोधरा के आँसू  जो पलकों पर ठहरे
कहो  कभी क्या उसका मोल लगाया होगा??

बुद्ध जगत को नया मार्ग दिखलाया तुमने
"जग-मिथ्या का सार " हमे बतलाया तुमने।
वो बूढ़ा जिसका सारा "जग" तुममें ही था,
उसको दुःख का हार स्वयं पहनाया तुमने....

सारनाथ में मुखरित थे तुम,राजभवन में सन्नाटा था
दुःख का हल खोज था तुमने,मैंने उस दुःख को बांटा था।
त्रिपिटक" में जो दर्ज नहीं है,वो दुःख भी मुझ पर बीता है,
बुद्ध तुम्हारा युद्ध अलग था, मैंने अलग युद्ध जीता है!!

कपिलवस्तु से कुशीनगर के पथ पर तुमको
याद नहीं आई क्या घर की ? बोलो स्वामी !

© लोकेंद्र मणि मिश्र "दीपक"