रविवार, 7 अगस्त 2016

दोस्ती

मित्रता दिवस पर एक और स्वरचित गज़ल

है  इश्क़ है मोहब्बत है प्यार दोस्ती
हो जंग दुश्मनों से तो तलवार दोस्ती

सागर में दुःख के जब कभी फंस जाए जिंदगी
तब डूबती नौका को है पतवार दोस्ती

है मानते होते नही सब दिन हैं एक से
मीठी झड़प है प्यार में तकरार दोस्ती

आए हमारी जिंदगी में इसका शुक्रिया
पतझड़ भरे जीवन में है बहार दोस्ती

जब भी गिरा हूँ मुझको संभाला है तुमने ही
करता हूँ तह -ए -दिल से मैं आभार दोस्ती

©®लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
09169041691

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