मित्रता दिवस पर एक और स्वरचित गज़ल
है इश्क़ है मोहब्बत है प्यार दोस्ती
हो जंग दुश्मनों से तो तलवार दोस्ती
सागर में दुःख के जब कभी फंस जाए जिंदगी
तब डूबती नौका को है पतवार दोस्ती
है मानते होते नही सब दिन हैं एक से
मीठी झड़प है प्यार में तकरार दोस्ती
आए हमारी जिंदगी में इसका शुक्रिया
पतझड़ भरे जीवन में है बहार दोस्ती
जब भी गिरा हूँ मुझको संभाला है तुमने ही
करता हूँ तह -ए -दिल से मैं आभार दोस्ती
©®लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
09169041691
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