रविवार, 14 अगस्त 2016

भारत का पाकिस्तान के नाम पत्र

प्रिय पुत्र

यूँ तो प्रिय शब्द कहने का दिल नहीं करता पर क्या करें कुपुत्र की सही पर हो तो मेरे पुत्र ही।सामान्यतः पुत्र के जन्म पर पिता को प्रसन्नता होती है पर तुम्हारा केस ऐसा नही था तुम्हारा जन्म पूरी मानवजाति के लिए एक शर्म की बात थी क्योंकि इधर तुम्हारा जन्म हुआ और इधर न जाने कितनी ही जाने चली गयीं और मानवता की हत्या हुई। कहते है पुत्र कुल का दीपक होता है तुम तो चिता जलाने वाली आग निकले ।नीचता   का रिकॉर्ड बनाना तो कोई तुमसे सीखे। सिर्फ अलग होकर ही तुम नही माने तुमने तो अपने बाप के खिलाफ अपने बाप के घर में ही युद्ध छेड़ दिया। अरे बेटा बाप बाप होता है। ये बात तो जाहिल से जाहिल बच्चे भी जानते हैं कि बाप की संपत्ति जब तक बाप देता नही तब तक कोई भी कानून बेटे को वो संपत्ति नहीं दिला सकता। पर बेटा तुमको कानून की बात कहाँ पल्ले पड़ने वाली तुम तो बम बारूद की बातें करते हो । तुम जितनी बार घर मिलने आये उतनी बार हमने स्वागत किया , कभी आगरा में तो कभी शिमला और कभी दिल्ली में पर तुम तो हो ही हरामी तुम्हें कश्मीर चाहिए । तुम 71 में बम बारूद ले के आये हम तुम्हे लाहौर तक खदेड़ कर आये। यार कमीनेपन की भी हद होती है । भगाने के बाद फिर कारगिल में जूते खाने चले आये। बेटे हम बाप का फ़र्ज़ आज तक निभाते आये पर अब नहीं होता यार। हमारा छोटा बेटा जो 71 में जन्मा उससे भी तुम्हारी नहीं बनती। छोडो हमे अब तुम्हे समझाना नही है । यार 1947 से समझा रहे हैं अब 2016 चल रहा है इतना कोई सहता है क्या ?आखिरी बार कहते है सुन लो बेटा सुधर जाओ नही तो पता ही है तुम्हे  ""बाप बाप होता है""।  अब आज तुम्हारा जन्मदिन है तो गिफ्ट के तौर पर यही नसीहत है ध्यान रखना । नहीं तो बाप बाप होता है......

तुम्हारा बाप
हिंदुस्तान

लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

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