स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनायें।
शहीदों के नाम एक मुक्तक
देश खातिर किया हर जतन आपने
प्राण देकर बचाया वतन आपने
आज आज़ाद हैं हम तो बस इसलिये
देश के हित में ओढ़ा कफ़न आपने।
शहीदों के सपने के भारत यह नही है । आज कश्मीर में हमारे सैनिकों के ऊपर पत्थर फेंके जाते हैं, लाल चौक पर तिरंगा नही फहराया जाता आदि आदि । ये लिस्ट काफी लम्बी है। भारत की बर्बादी के नारे लगाये जाते हैं। जस्टिस गांगुली जैसे बुद्धिजीवियों को अफज़ल की फांसी गलत लगती है। और इन जगहों पर सरकार की उदासीनता भी दिखाई देती है। इसी संदर्भ में कुछ पंक्तियाँ
आजादी का जो सपना था वह पूर्ण अभी तक हुआ नहीं
जो दुष्ट पड़ोसी है उसका मद चूर्ण अभी तक हुआ नहीं।
ऐ नौजवान आगे आओ नौका लहरों के पार करो
अरि मुंडो के जयमाल हेतु तीखी कटार की धार करो ।
पथ भले भरा हो काँटो से पर हार मानना कभी नहीं।
ना कभी मांगने से मिलता अधिकार माँगना कभी नहीं।
जिसको भी विजय मिला जग में है मिला भुजाओं के बल पर
जंग नहीं जीती जाती है कभी सुझावों के बल पर।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
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