मुंशी प्रेमचन्द मेरे प्रिय कहानीकार व् उपन्यासकार हैं।
आज उनके जन्मदिन पर शत् शत् नमन
आ जाओ फिर से प्रेमचन्द
जिसको हरखू भी प्यारा हो
हामिद आँखों का तारा हो
जो गबन लिखे गोदान लिखे
भारत माता की शान लिखे
जो लिखे दर्द हर बुधिया का
निर्धन की टूटी खटिया का
गिल्ली डंडा का खेल लिखे
पूस की रात की झेल लिखे
हाकिम की कड़वी बात लिखे
हर कुरीतियों को घात लिखे
जो रंगभूमि का मंच लिखे
जो परमेश्वर है पंच लिखे
जो सूद महाजन का लिख दे
जो कजरी सावन का लिख दे
जो नई दिशा दे जन जन को
शब्दों में ढाले हर मन को
हर मन का जो मनमीत बने
जीवन का मधु संगीत बने
है पुनः जरूरत प्रेमचन्द
आ जाओ फिर से प्रेमचन्द
©लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
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