आज इंजीनियर्स डे है। सबसे पहले सभी इंजीनियरों को शुभकामनायें साथ ही साथ उनको भी शुभकामनायें जो अगले साल दो साल में इंजीनियर बन जायेंगे। एक इंजीनियर की लाइफ क्या होती है ये आपको इंजीनियर के ऊपर बने जोक्स पढ़कर नही बल्कि चार साल में 48 किताबें पढ़कर पता चलेगा।आज तो ये है की जो एक सीधा लाइन भी नहीं खींच पाता है वो भी कुछ भी बोल देता है आके देखो कभी इंजीनियरिंग ड्राइंग बनाके ...... न हो गया तो बताना। (....... के स्थान पर अपने विवेक से उचित शब्द भर लें). जिसने जिंदगी में कार्बन कॉपी के बिना कोई परीक्षा ही नहीं दी वो भी पूछता है भाई कितने बैक आये? खैर इंजीनयरिंग के बारे में ज्यादे कुछकह पाना मेरे लिए तो सम्भव नही है। इंजीनियरिंग एक सीधे - सादे लड़के को इस लायक बनाता है की कोई वो इस जमाने में जी सके । खैर ज्यादा गम्भीर बातें नही कहुंगा सिर्फ इतना कहुंगा की आज आप मेरे इस पोस्ट को पढ़ पा रहे हैं तो उसके पीछे भी एक इंजीनियर का ही दिमाग है। शायद आप अपने बैडरूम या ड्राइंग रूम में बैठकर ये पोस्ट पढ़ रहे हों तो जरा अपनी नज़रें इधर उधर के सामानों पर दौड़ाइए ना आपके आसपास के 60-70% चीजें किसी इंजीनियर के दिमाग की ही देन है। अगर इंजीनियर न होते तो विज्ञान सिर्फ एक थ्योरी होती। आज भी हम बैलगाड़ी से चल रहे होते(हांलाकि बैलगाड़ी में भी इंजीनियरिंग है) । दिन में दस बार हेल्लो बेबी ,हेल्लो जानू हेल्लो हनी कहने वाली पीढ़ी महीने में एक बार आने वाले अन्तरदेशी पत्र पर ही टिकी होती। क्या क्या लिखूँ ..... आगे से किसी एयर कंडीशन गाडी में बैठकर या किसी एयर कन्डीशन कमरे में लगे एलसीडी स्क्रीन पर अपने परिवार के साथ किसी मूवी का आनन्द लेते समय आपके मोबाइल पर आये किसी इंजीनियरिंग वाले जोक्स को पढ़कर हंसने से पहले जरा एक मिनट रुककर सोचियेगा जरूर।
सर एम . विश्वेश्वरैया को नमन।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"