पतवार छोड़ दोगे तो साहिल न मिलेगा।
अखबार में कातिल कभी कातिल न मिलेगा।
मिल जाये एक बार तो फिर थाम लो उसे
हर बार किसी से ये कभी दिल न मिलेगा।
शब आई है तो आएगी निश्चित ही सहर भी
ये बात सच नहीं है कि झिलमिल न मिलेगा।
सुधियों में तेरे जिस तरह खोया रहा हूँ मैं
हर शख़्स तुम्हे इस क़दर ग़ाफ़िल न मिलेगा।
"दीपक" के हौंसले को डिगा दे कोई तूफां
तूफान कोई इतना तो काबिल न मिलेगा।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"