1- जगत को रस्ता दिखाने आया धरा पे नर रूप धार कान्हा
भक्ति का योग कर्म का योग सिखाने आया था प्यार कान्हा
ये जग समझ ले न धन को सब कुछ और भूल जाए न मन की बातें
यही बताने धरा पे आया सुदामा का बन के यार कान्हा।
2-जगत को अपने स्वरुप - लीला से था लुभाने ही आया कान्हा
है सत्य आत्मा जगत है मिथ्या हमें बताने ही आया कान्हा
कभी किसी को न समझो छोटा नहीं वो छोटे जो दिख रहे है
कि पांच पांडव के संग मिल कर उन्हें जिताने ही आया कान्हा।
3 हज़ारों गोपियों संग राधा व रुकमिनी का सिंगार कान्हा
जो राधिका को था उनसे जोड़े वो मन से मन का था तार कान्हा
वो चाहे मीरा हो या कि राधा या गोपियाँ हो या मित्र ही हों
सकल चराचर को आया देने था प्यार ही प्यार - प्यार कान्हा।
©लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"