अपने मन को बहलाना तो पड़ता है
दिल को झूठे ख़्वाब दिखाना पड़ता है
जहां शिकारी ने कतरा पर चिड़िया का
चिड़िया का अब वहीं ठिकाना रहता है
दिल की दुनिया कैसी दुनिया होती है
इसको कितना कुछ समझाना पड़ता है
ख़्वाब अगर मार जाते हैं तो फिर तय है
आँख के रस्ते बाहर आना पड़ता है.
©लोकेंद्र मणि मिश्र "दीपक"
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