शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

मुझको तुझमें चाँद दिखाई देता है

देख रहा हूँ कल से तेरी आँखों में
इन आँखों में प्यार दिखाई देता है।

तेरी जुल्फें आगे को जब होती हैं
मुझको तुझमे ताज दिखाई देता है।

तेरे लब  को  छूकर मैंने जाना है
प्यासे को क्यों आब दिखाई देता है।

सबको तुझमे सबकुछ दिखता होगा पर
मुझको तुझमे चाँद दिखाई देता है।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

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