क्या तुम्हें पता ये नही अगर
हम तुम न मिले तो क्या होगा?
तुम और किसी की बाहों में
जब पड़ी पड़ी सो जाओगी।
शायद उस क्षण पूरी हो कर भी
तुम आधी हो जाओगी।
सपने में कोई पूछ पड़ा, कैसी हो अब? तो क्या होगा?
जब किसी सुबह अलसाई सी
इक हवा बहेगी ठंडी सी
वो हवा अगर तन को छू कर
सब याद दिला दे क्या होगा?
हम तुम न मिले तो क्या होगा?
जब आलिंगन में कैद तुम्हारा तन
मन से टकराएगा
और खड़ा कोई सम्मुख अंतर्मन से मुस्कायेगा
मन के मासूम सवालों का उत्तर प्रतिउत्तर क्या होगा
हम तुम न मिले तो क्या होगा?
जब दर्द समोकर भी हंसना , मन के अंदर रोना होगा
कुछ अनचाहे के चक्कर मे जो चाहा था खोना होगा
उस क्षण चाहत पूछेगी ये
मेरी चाहत का क्या होगा?
हम तुम न मिले तो क्या होगा?
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
क्या खूब लिखा है वाह
जवाब देंहटाएंधन्यवाद
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