याद है जब अचानक चलते समय तुमने उस जोड़े की तरफ इशारा करते हुए मुझसे कहा था, ये दुनिया प्रेम में ही खूबसूरत लगती है" और मैंने पूछा था ऐसा क्या है प्रेम में जो दुनिया इतनी खूबसूरत लगने लगती है ? इसके जवाब में तुमने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा था प्रेम खूबसूरत होता है क्योंकि प्रेम में इंसान सिर्फ खूबसूरती देख पाता है जैसे कि इस तस्वीर में तुम देख रहे हो। इस बातचीत में हम भूल गए की ये आखिरी मुलाक़ात थी।
प्रेम के छाँव से निकल कर अपने अपने रास्तों की धूप से अब दोनों को रूबरू होना था।
Lokendra Mishra
#लप्रेक
प्रेम के छाँव से निकल कर अपने अपने रास्तों की धूप से अब दोनों को रूबरू होना था।
Lokendra Mishra
#लप्रेक
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें