कल्पना बनाम भोजपुरी
भोजपुरी फिल्मों और गानों को अश्लीलता किसी से भी छिपी नहीं है। बेशक़ आज भोजपुरी में कुछ अच्छे काम हो रहे हैं शार्ट फ़िल्म्स के माध्यम से और कुछ संस्थाओं द्वारा सोशल मीडिया में भी प्रयास किये जा रहे हैं लेकिन भोजपुरी की छवि जो पिछले 15-16 सालों में खराब हुई है उसे इतनी जल्दी से नहीं सुधारा जा सकता। भोजपुरी गीत संगीत की जो छवि आज है उसमें कल्पना पटवारी का योगदान अमूल्य है.. गमछा बिछा के दिल मांगना से ले के चढ़ल जवानी रसगुल्ला किसी से भी छिपा नहीं है। आजकल एक वीडियो वायरल हो रहा है जिसमे आपके ही प्रिय दर्शकों ने आपके उन्हीं गीतों को गाने के लिये कहा है और आप उसपे चिढ़ जाती हैं। क्या आपको पता ह उनकी येे फरमाइश आपकी ही देन है । वो भरत शर्मा या शारदा सिन्हा से ये फरमाईस नहीं कर सकते हैं उन्हें मालूम है। आपको व्व उन्हीं गानों के पर्याय के रूप में देखते हैं न कि भिखारी ठाकुर और महेन्दर मिसिर के गीतों के गायिका के रूप में। अपमान किसी का भी नहीं होना चाहिए ये सच है लेकिन यदि उस अपमान का कारण खुद आपके ही द्वारा किये गए कुछ काम हों तो फिर इस अपमान को भी आपको स्वीकारना ही होगा। दूसरी बात ये की अगर आप ये सोच रहीं हैं कि भिखारी ठाकुर के गीतों को गा कर आपके सभी अश्लील गानों के पाप धूल जायेंगे तो आप ये भूल जाईये क्योंकि आपके पुराने गानों के भक्त आपके इस प्रायश्चित में आपके साथ बिल्कुल भी नहीं हैं।
तीसरी बात प्रभात खबर अखबार के लिये.... पत्रकारिता का पतन तो हम देख ही रहे हैं, टीवी पर समाचारों का मतलब TRP और समाचारपत्रों में खबरों का मतलब विज्ञापन । इस दौर में आपका अखबार भो क्यों पीछे रहता सो आपने भी बहती गंगा में हाथ धो लिया। आपके खबर की शुरुआत होती है
"कल्पना ने भोजपुरी के लिए जो त्याग किया है वो अतुलनीय है"
क्या इस लाइन का कोई आधार है? या फिर आपको अच्छा लगा इसलिये छाप दिया? खैर केबिन में बैठकर खबर लिखने वाले पत्रकारों और संपादकों से ये गलतियां तो होनी ही है। आपको अगर टेबल पर बैठकर हो पत्रकारिता करनी है तो एक सुझाव है मेरी तरफ से यूट्यूब खोलिये और कल्पना पटवारी सर्च कीजिये फिर आपको पता चलेगा कि कल्पना ने क्या योगदान दिया है। तब आपकी खबर कुछ ऐसा होगी
" कल्पना का भोजपुरी के पतन में अतुलनीय योगदान है"।
धन्यवाद!
लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
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