एकबार चलि गईल त ना आवेले ज़िन्दगी
खेला अज़ब ग़ज़ब के देखावेले ज़िन्दगी
एक बार चलि गईल त ना आवेले ज़िन्दगी
केतनो अमीर होखे केतनो गरीब होखे
सभकर अईंठि के कान नचावेले ज़िन्दगी।
खोजला प ना किताब में मिले जवन कबो
अदमी के हर ऊ पाठ पढ़ावेले ज़िन्दगी।
नफ़रत के बोरा बान्हि के कुईयाँ में फेंकि द
सबसे करs तूँ प्यार बतावेले ज़िन्दगी।
आइल बा जे ऊ जाई केहूs भुलाय ना
जा-जा के रोज सबके सीखावेले ज़िन्दगी।
~लोकेंद्र मणि मिश्र "दीपक"
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