शनिवार, 22 दिसंबर 2018

दो नैन तुम्हारे ऐसे  जिनमे डूबे सात समंदर

दो नैन तुम्हारे ऐसे  जिनमे डूबे सात समंदर
कितनी बाते छुपी हुईं हैं इन नयनो के अंदर.
जैसे छोटा बच्चा कोई देखे एक खिलौना
जैसे नील गगन तारों का लगता एक बिछौना
जैसे सारी दुनिया की आपाधापी स्थिर हो
जैसे सुख दुःख वाली बातें इस दुनिया में चिर हो.

जैसे दुनिया के ख्वाबो की इसमें हो एक दुनिया
इस दुनिया से कितनी अच्छी है आँखों की दुनिया
इन आँखों की दुनिया का एक कोना लेकिन नम है
यूँ कह लें दो आँखों के बिन दो आँखे पुरनम हैं।
वो दो आँखे बसी हुई इन दो आँखों के अंदर
कितनी बातें छुपी हुई हैं दो आँखों के अंदर।

दो नैन इधर ऐसे हैं जो उन दो नयनो  को चाहें
उन नयनों को गहना चाहें इन नयनो की बाहें.
दो नैन तुम्हारे ऐसे  जिनमे डूबे सात समंदर
कितनी बाते छुपी हुईं हैं इन नयनो के अंदर.

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

सोमवार, 22 अक्तूबर 2018

ज़िंदगी भी कमाल है मालिक

ज़िन्दगी भी कमाल है मालिक
इश्क़ मौलिक सवाल है मालिक।

जिसने देखा वो देखता ही रहा
कैसा हुश्न -ओ- जमाल है मालिक।

यूँ वो चलती है जैसे लगता है
एक नदिया की चाल है मालिक।

वो जो चन्दा के जैसा रौशन है
हुश्ने जाना का गाल है मालिक।

उसके लब पे जो मुस्कुराहट है
सच में बिलकुल बवाल है मालिक

लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"

बुधवार, 17 अक्तूबर 2018

वह तोड़ती पत्थर प्रयागराज के पथ पर

आदरणीय मुख्यमंत्री जी

आप कुशलता से होंगे ही इसलिये कुशल- क्षेम की बात नहीं करते है।
उत्तर प्रदेश में एंटी रोमियो के सफल सञ्चालन के बाद नाम बदलने का प्रोजेक्ट आपने शुरू किया है उसके लिए बधाई । वैसे भी शेकस्पियर ने कहा था what is in the name? एक राज की बात बताएं, शेकस्पियर का नाम शंकर प्रसाद अय्यर था। वो तो पाश्चातय संस्कृति से प्रभावित होकर नाम में हेर-फेर हो गया। बाकी खुद ही बन्दे ने कहा था नाम में क्या रखा है...

तो खबर है कि इलाहाबाद का नाम अब प्रयागराज होगा। इसके पहले मुगलसराय का नाम पंडित दीन दयाल उपाध्याय नगर हो चुका है।
गोरखपुर में मुहल्लों का नाम भी पहले ही आप बदल चुके हैं मसलन हुमायुपुर को हनुमान नगर, हिंदी बाज़ार को उर्दू बाज़ार आदि आदि।

तो माननीय मुख्यमंत्री जी , निराला की एक कविता है...

वह तोड़ती पत्थर
इलाहाबाद के पथ पर....
अब उसे कैसे पढ़ें जैसे था वैसे ही या फिर
वह तोड़ती पत्थर
प्रयागराज के पथ पर. 

कुमार विश्वास अब मन्च से गाएंगे

हमें बरबाद करके तुम वहां आबाद रहते हो
कोई कल कह रहा था तुम प्रयागराज रहते हो..

मज़ा नहीं आया पर क्या करें नाम बदल चुका है।

आपके मुख्यमंत्री बनने की बाद उत्तर प्रदेश में हुए लगभग सभी परिक्षाओं में पेपर आउट हो रहे हैं.. UPPCS, UP POLICE आदि.. नयी वेकेन्सी के लिए धरना, फिर फॉर्म भरने के लिए धरना, परीक्षा कराने के लिए धरना, फिर रिजल्ट के लिये धरना, फिर ज्वाइनिंग के लिए धरना... मालिक इतना धरना के बाद एक नौकरी मिल जाए तो लोग-बाग अपना जीवन धन्य मान रहे हैं।

खैर आप अपने प्रोजेक्ट "नाम परिवर्तन" पर ध्यान दीजिये... ये नौकरी वगैरह सब दूसरे दर्जे की बाते हैं।
आइये आपकी हेल्प करता हूँ ..लखनऊ का नाम बताता हूँ जो आपके प्रोजेक्ट के लिए कारगर होगा

लखनऊ ----- लखन नगर या लखनपुर
बाकी शहर तो बहुत हैं बाबा आप अपने हिसाब से देख लीजिये और हाँ परीक्षा के बारे में ज्यादा मत सोचियेगा.... थोड़ा धरना होने दीजिये अभी, आखिर डेमोक्रेसी में धरना- प्रदर्शन की छूट है तो होना है चाहिये तभी तो डेमोक्रेसी में विश्वास बना रहेगा।
गौशाला वाले काम में थोड़ी तेजी लाइये वो भी धीरे चल रहा है, रोमियो को पकड़ना चालू रखिये। पुलिस तो मुंह से ठांय- ठांय कर ही रही है, एनकाउंटर भी चलता रहे ।

एक बार फिर याद दिला दें नौकरी की बारे में मत सोचियेगा काहे की UP में योग्य कैंडिडेट भी नहीं है फिर क्यों विज्ञापन में पैसा फंसाना वही पैसा इलाहाबाद का बोर्ड हटाने और प्रयागराज का बोर्ड लगाने में खर्चा हो। मार्कशीट में उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा परिषद ,प्रयागराज रहेगा अब।

बाकी.... जय हो

~लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"

शनिवार, 13 अक्तूबर 2018

मुझको तुझमें चाँद दिखाई देता है

देख रहा हूँ कल से तेरी आँखों में
इन आँखों में प्यार दिखाई देता है।

तेरी जुल्फें आगे को जब होती हैं
मुझको तुझमे ताज दिखाई देता है।

तेरे लब  को  छूकर मैंने जाना है
प्यासे को क्यों आब दिखाई देता है।

सबको तुझमे सबकुछ दिखता होगा पर
मुझको तुझमे चाँद दिखाई देता है।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

रविवार, 2 सितंबर 2018

प्यार ही प्यार- प्यार कान्हा

1- जगत को रस्ता दिखाने आया धरा पे नर रूप धार कान्हा
भक्ति का योग कर्म का योग सिखाने आया था प्यार कान्हा
ये जग समझ ले न धन को सब कुछ और भूल जाए न मन की बातें
यही बताने धरा पे आया सुदामा का बन के यार कान्हा।

2-जगत को अपने स्वरुप - लीला से था लुभाने ही आया कान्हा
है सत्य आत्मा जगत है मिथ्या हमें बताने ही आया कान्हा
कभी किसी को न समझो छोटा नहीं वो छोटे जो दिख रहे है
कि पांच पांडव के संग मिल कर उन्हें जिताने ही आया कान्हा।

3 हज़ारों गोपियों  संग राधा व रुकमिनी का सिंगार कान्हा
जो राधिका को था उनसे जोड़े वो मन से मन का था तार कान्हा
वो चाहे मीरा हो या कि राधा या गोपियाँ हो या मित्र ही हों
सकल चराचर को आया देने था प्यार ही प्यार - प्यार कान्हा।

©लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"

शुक्रवार, 18 मई 2018

पतवार छोड़ दोगे तो साहिल न मिलेगा

पतवार छोड़ दोगे तो साहिल न मिलेगा।
अखबार में कातिल कभी कातिल न मिलेगा।

मिल जाये एक बार तो फिर थाम लो उसे
हर बार किसी से ये कभी दिल न मिलेगा।

शब आई है तो आएगी निश्चित ही सहर भी
ये बात सच नहीं है कि झिलमिल न मिलेगा।

सुधियों में तेरे जिस तरह खोया रहा हूँ मैं
हर शख़्स तुम्हे इस क़दर ग़ाफ़िल न मिलेगा।

"दीपक" के हौंसले को डिगा दे कोई तूफां
तूफान कोई इतना तो काबिल न मिलेगा।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

गुरुवार, 26 अप्रैल 2018

तुम मुझको आवाज़ दो तो सही

1रुक के तुम मुझको आवाज दो तो सही।
एक पावन सा अहसास दो तो सही।
मैं जहां हूँ वहीं तुमको ले आऊंगा
अपने आने का आभास दो तो सही।

2 इस जमीं पर ही आकाश मिल जाएगा।
पतझड़ों में भी मधुमास मिल जायेगा।
इश्क़ की गर ख़ुदा सी इबादत करो
आस ही पास वो तुमको मिल जाएगा।

3 एक ऐसी किताब जो जाऊँ।
सूखे दरिया में आब हो जाऊँ।
मुझको ऐसा बना मेरे मौला
उसकी आँखों का ख्वाब हो जाऊँ।

4 उसने कहा जो कुछ तो मैं पागल सा हो गया।
पानी भरे हुए किसी बादल सा हो गया।
दुनिया के रंजो गम से न कुछ भी हुआ मुझे
उसकी बस एक नज़र से ही घायल सा हो गया।

बुधवार, 18 अप्रैल 2018

इश्क़ तो बेज़ुबान है साहब

इश्क़ तो बेज़ुबान है साहब
इसके ना मुंह न कान हैं साहब।

पैर धरती पे हैं भले लेकिन
नापना आसमान है साहब।

घर में गर प्यार ना हो घर कैसा
एक खाली मकान है साहब।

उसकी आवाज़ यूँ लगे है कि
कोई मीठी सी तान है साहब।

पंख से फ़र्क कुछ नही पड़ता
पंख बिन भी उड़ान है साहब।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

मंगलवार, 17 अप्रैल 2018

हम-तुम न मिले तो क्या होगा....

क्या तुम्हें पता ये नही अगर
हम तुम न मिले तो क्या होगा?

तुम और किसी की बाहों में
जब पड़ी पड़ी सो जाओगी।
शायद उस क्षण पूरी हो कर भी
तुम आधी हो जाओगी।
सपने में कोई पूछ पड़ा, कैसी हो अब? तो क्या होगा?

जब किसी सुबह अलसाई सी
इक हवा बहेगी ठंडी सी
वो हवा अगर तन को छू कर
सब याद दिला दे क्या होगा?
हम तुम न मिले तो क्या होगा?

जब आलिंगन में कैद तुम्हारा तन
मन से टकराएगा
और खड़ा कोई सम्मुख अंतर्मन से मुस्कायेगा
मन के मासूम सवालों का उत्तर प्रतिउत्तर क्या होगा
हम तुम न मिले तो क्या होगा?

जब दर्द समोकर भी हंसना , मन के अंदर रोना होगा
कुछ अनचाहे के चक्कर मे जो चाहा था खोना होगा
उस क्षण चाहत पूछेगी ये
मेरी चाहत का क्या होगा?
हम तुम न मिले तो क्या होगा?

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

मंगलवार, 9 जनवरी 2018

कल्पना बनाम भोजपुरी-2

"जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध"

कल्पना बनाम भोजपुरी -2

कल्पना का मामला अभी थमा नहीं है। थमे भी क्यों ? जब पिछले कई सालों से उनका अश्लील गाना नहीं थमा फिर उनका विरोध क्यों थमे ? लेकिन कुछ लोगों की आदत होती है एक  स्पेसिफिक चश्मे से ही हर चीज को देखने की । आज उनलोगों को कल्पना का विरोध किसी जाति विशेष का विरोध लग रहा है, स्त्री का विरोध लग रहा है वो लोग तब कहाँ थे जब वो स्त्री को अपने गानों के माध्यम से बदनाम कर रही थी, क्या वो उन्हें ठीक लगा? या फिर कहीं कल्पना के विरोध का स्वर उनके समर्थन के स्वर से  अधिक ऊंचा न हो जाये इसलिए जातिवाद को बीच में लाया गया। बात जो भी हो लेकिन आपको सपोर्ट करना है  कल्पना का करिये स्पोर्ट लेकिन डबल स्टैंडर्ड की राजनीति कर के आप नुकसान तो भोजपुरी का ही कर रहे हैं। वैसे आप को भोजपुरी की फिक्र शायद है भी नहीं  हो भी क्यों भोजपुरी के चलते जितने भी लोग ऊपर उठे हैं उनका "भोजपुरी के उठने" से दूर - दूर तक कोई मतलब नहीं है।
भोजपुरी की सेवा किसी एक- दो दिन के आंदोलन या नारेबाजी से करना व्यर्थ है जब तक की आपमें गलत को गलत बोलने की हिम्मत न हो। एक तरफ आप भोजपुरी को दर्जा दिलाने की बात करते हैं दूसरी तरफ अश्लीलता की ढाल बनते हैं तो याद रखिये ढाल पर वार होते ही हैं और ढाल कितना भी मजबूत क्यों न हो श्रेष्ठ और कुशल सैनिक के वार से अपने पीछे छिपने वाले कमजोर को नहीं बचा सकता।

रही बात कल्पना की तो आप को पता है कि आपने क्या गाया है और कितने मजे से गाया है और अब भी उतने ही मजे से वही गया रही हैं। आप के विरोध को आप भी स्त्री विरोध की तरफ मोड़ रही हैं, लेकिन आपको शायद पता नहीं है कि हर वो लड़की या औरत जिसे आपके गानों के चलते राह चलना कठिन हो गया होगा वो खुद आपका विरोध कर रहीं हैं। ये नारीवाद - जातिवाद को आप ढाल बनाइये लेकिन कुछ होना नही है विरोध जारी रहेगा।

ये तो रही सपोर्ट और विरोध करने वालों की बात। कुछ लोग इस प्रकरण में बोलने से भी बच रहे हैं। क्योंकि वो इस लफड़े में पड़ना नहीं चाहते , क्या मतलब है कल्पना अच्छा गाये बुरा गाये.. गमछा बिछाये या गमछा उठाये। याद रखिये समय आपको भी माफ नहीं करेगा , या तो आप विरोध करिये या फिर आप भी एक बीज रोप दीजिये अश्लीलता के पक्ष में, क्योंकि बचने वाले तो आप ऐसे भी नहीं है। " जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध"।
आप अपनी जाति का रोना रोइये , क्योंकि ये बदल तो सकती नहीं है और आपको इसे लेकर इंफेरिओरिटी कॉम्प्लेक्स भी है नहीं  होता तो आप हर बात में इसे ही ब्रह्मास्त्र ( ब्रह्मास्त्र शब्द से भी आपको दिक्कत हो सकती है , इसमें भी जातिवाद दिखाई दे सकता है) के तौर पर क्यों उपयोग करते...

~लोकेन्द्र मणि मिश्र " दीपक"

सोमवार, 1 जनवरी 2018

नववर्ष की शुभकामनाएं

नववर्ष 2018 की हार्दिक शुभकामनायें

तिमिर को भगाने नया साल आया
विगत को भुलाने नया साल आया।

काँटों का साम्राज्य जड़ से मिटाकर
कुसुम नव खिलाने नया सालआया

बहुत हो चुका झूठ सच का फ़साना
सही क्या बताने नया साल आया

विगत वर्ष के अनुभवों को सजाकर
बहुत कुछ सिखाने नया साल आया

नयी राह "दीपक" जरा देख लो तुम
यही है दिखाने नया साल आया

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
lokendradeepak.blogspot.com