शुक्रवार, 30 सितंबर 2016

नोकिया 2690 (कहानी)

सन् 2009 की बात है । मोबाईल फोन तो तब भी थे पर   तब स्मार्टफोन्स कम थे शायद ही कोई गाँव जवार में हो जिसके पास हो। तब जमाना था नोकिया -1100 नोकिया 1600 और 2690 जैसे फोन का, हाँ चाइना के कुछ फोन भी थे जिनका गाना डेढ़ - दो किलोमीटर तक तो सुनाई देता देता था। मुझे याद है मेरा पहला फोन था AGTEL ..हाँ भाई चाईना ही था। लेकिन ये भी 2011 के मार्च महीने में मिला था शायद 20 तारीख थी एक या दो परीक्षा बचे थे अभी दसवीं के। खैर मोबाइल के बारे में जो भी कहे कम ही है। उस समय हम कक्षा 9 में पढते थे ,एक मित्र थे  भगवान की कृपा से अब भी हैं। उनके पास 2690 सेट था। इस मोबाइल ने कई प्रेम - सम्बन्धो को आधार प्रदान किया था । कितने बजे उनके उनको उनसे मिलना है ये इस मोबाइल और उनके घर के इकलौते मोबाईल  के सम्पर्क पर निर्भर करता था। कुछ रिश्ते तो आज भी उस 2690 की दुआ से एक हैं। लेकिन जो 2690 के मालिक थे उनका कुछ भला नही हुआ इससे शिवाय इस संतोष के की मैंने फलाँ को फलानी से मिला दिया। एक बार ये अति उत्साह में आकर एक नम्बर पर मैसेज कर दिये " हैप्पी बर्थडे डिअर" लेकिन ये नम्बर डिअर का नही डिअर के बाप का था ।अब संयोग कहिये या इनके अच्छे कर्मो का प्रतिफल मैसेज डिअर ने ही देखा। बस अगले दिन साहब की क्लास ली गयी तुम्हारी हिम्मत कैसे हुई फोन मैसेज करने की आज के बाद फोन करोगे न तो ........ अंग्रेजी हिंदी और भोजपुरी मिश्रित कुछ गालियों का इन्होंने रसास्वादन किया । लेकिन जनाब सकारात्मक सोच के व्यक्ति थे ..... माफ़ कीजियेगा "हैं" उन्होंने सोचा कभी न कभी तो सफलता मिलेगी ही बस लगे रहे दिन रात उसी काम में, लेकिन अफ़सोस साहब के उसी फोन से बरसो उसी लड़की से  कोई और लड़का बात करने लगा और साहब अपने आपको मन लिए। फिर दिल में वही संतोष दो प्यार करने वालो को मिला दिया। मित्र के पास आज सैमसंग जे -7 है लेकिन वो कहते हैं की भाई इसमें 2690 वाला मजा नही है। सब है मगर अब भी उन्हें इंतजार है एक अदद मैसेज की ।

~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"

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