सज संवर कर पास आई है ग़ज़ल
दिल को मेरे आज भायी है गज़ल
थोड़े शब्दों में बड़ी बातें कहे
कौन कहता है की राई है गजल
दिलजलों के दिल के सबसे पास है
कौन कहता है पराई है ग़जल
जा रहा हूँ आज उसके पास मैं
आज उसने फिर से गायी है गजल
तुम करो स्वीकार या फिर ना करो
दिल से "दीपक "नें बनाई है गज़ल
©®लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
लखनऊ
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