आपस में एक दूजे से लड़ते कभी नही
नेता हमारे पीछे जो पड़ते कभी नहीं
दुनिया हमेशा उसके ही कदमो को चूमती
तिल भर भी जो सच्चाई से टलते कभी नहीं।
अपने परो पे चिड़िया का विश्वास देखिये
कारण यही है शाख से गिरते कभी नही।
औरो के रास्ते में जो कांटे है बो रहा
राहों में उसके फूल तो मिलते कभी नहीं
कुछ बात तो होगा ही जल रहे चराग में
"दीपक"यूँ आँधियों में तो जलते कभी नहीं।
©®लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
लख़नऊ
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