शुक्रवार, 19 फ़रवरी 2016

ग़ज़ल

मेरे दिल को दुःखा गया कोई।
सारे रिश्ते भुला गया कोई

हर कदम साथ साथ चलता था
ख्वाब आ कर जला गया कोई।

दिल तो है दिल ये ना समझ पाया
इसको पागल बना गया कोई

गीत तुम प्यार के लिखते जाना
आके मुझको बता गया कोई

मत रहो तुम गमों के शाये में
आ के "दीपक" जला गया कोई।

©® लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
लखनऊ

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें