इंजीनियरिंग पार्ट 2
आज प्रेमचन्द का एक कथन याद आ रहा है "दुनिया में विपत्ति से बढ़कर अनुभव सिखाने वाला कोई भी विद्यालय आज तक नहीं खुला है". सही कहा था आपने विपत्ति अपने साथ अनुभवों की एक भारी भरकम गठरी लेकर आती है। विपत्ति को हमसे अधिक कौन जानेगा वो भी जब मई या दिसम्बर का महीना हो। विद्या कसम खा के कह रहे हैं ये जो दो महीना होते हैं न बाकी के दसो महीने पर भारी पड़ते हैं। एन्ड सेमेस्टर एग्जाम का महीना है ये , पढ़ लिए तो पार नही तो इसी पार रह जाएंगे। ये दो महीने घनघोर विपत्ति के होते हैं। अचानक सोते -सोते नींद खुलती है तो याद आता है ब्रेटन साइकिल का न्यूमेरिकल , तब तक अचानक दिमाग में रोलिंग फोर्जिंग चलने लगता है। कसम सॉरी विद्या कसम खा के कह रहे हैं मन करता है सब मोहमाया छोड़ के हिमालय पर चले जाएं।
इसी सब में फंसे रहते हैं तब तक व्हाट्सऐप मैसेज आता है। मैसेज आया है मैकेनिकल सेकण्ड इयर ग्रुप से HOD सर का मैसेज है कल से इंटरनल प्रैक्टिकल होंगे ।अटेंडेंस इज़ कम्पलसरी. लो एक और विपत्ति अब फ़ाइल किससे मांगे यहाँ तो बारी के बारी सब आम कोइलासी है। खैर बड़ी मेहनत के बाद पता चला की जो फर्स्ट बेंच पे चश्मा वाला लड़का बैठता है उसका फ़ाइल कंप्लीट है। अच्छा हर क्लास में एक दो लड़के अच्छी टाइमिंग वाले होते हैं ।असाइनमेंट सबसे पहले देंगे,फ़ाइल सबसे पहले देंगे आदि आदि आदि। इनकी कहानी हरी अनन्त हरि कथा अनंता।
जैसे तैसे रात भर के जगे जगे कॉलेज पहुंचते हैं तो पता चलता है प्रैक्टिकल नही लेक्चर्स होंगे। एक प्रोफेसर साहब हैं वो आएँगे और फलाँ विषय पर व्याख्यान देंगे। इस व्याख्यान की एक खासियत है रात की नींद दिन में पूरी हो जाती है। खैर आत्मा की शांति के लिए सभी लोग व्याख्यान का गुणगान करते हुए किसी तरह दिन काटते हैं। फिर भेजिए आप मैसेज घण्टा कोई नही आएगा।
ये जो इंजीनियरिंग है ये एक अजीब फील्ड है यहाँ आपको बताया जाएगा की इस फॉर्मूले से ये कैलकुलेट होगा । आप जब सब करना जान जाएंगे तब कहा जाएगा की ये ऐसा होता नही है आइडियल केस है। यार पहले बताये होते ।जब मैट्रोलोजी पढ़ते हैं तो लगता है अरे अकेले डिस्प्लेसमेंट नापने के लिए इतना मेथड है। एक से काम नही चल सकता था क्या? सबसे बड़ी बात है डिपार्टमेंट की हमारा तो डिपार्टमेंट ही है " डिपार्टमेंट ऑफ़ मैकेनिकल इंजीनियरिंग" बोले तो यांत्रिकी अभियंत्रण विभाग यन्त्र को छोड़कर कुछ है ही नही ।ठीक एक फ्लोर नीचे जाइए एप्लाइड साइंस में आपको अच्छा फील होगा । अगर एक फ्लोर और नीचे गए तब याद आता है "यदि कहीं स्वर्ग है पृथ्वी पर तो ...." मन में आता है कहाँ हिमालय जाने की बात कर रहे थे यार जरा इस फ्लोर की शीतलता महसुस करो रेफ्रिजरेशन के कांसेप्ट फेल हो जाएंगे।
लेकिन फिर वही चार दिन की चांदनी फिर अँधेरी रात ।आना पड़ता है अपने फ्लोर पर यादों का गट्ठर और मन को मनाना पड़ता है , फिर याद आती है एक पंक्ति "यदि कहीं नरक है पृथ्वी पर...."
चलो ये तो रोज का है अभी फ़ाइल भी लिखना है।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक"
©lokendradeepak.blogspot.com
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