न कुर्सी से न तख़्तों से न तलवारो से डरते है कलम लेकर सदा हम युद्ध गद्दारों से करते हैं।
कहाँ दम है तुम्हारी बात में या बाजुओ में ही कलम के हम सिपाही है न हथियारों से लड़ते हैं।
~लोकेन्द्र मणि मिश्र "दीपक" lokendradeepak.blogspot.com
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